
14
Feb
आरती वृहस्पति देवता की
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ।। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ।। चरणामृत...
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ।। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ।। चरणामृत...
जय माता की जय सन्तोषी माता, जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन को, सुख सम्पति दाता॥ जय .. सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों। हीरा पन्ना दमके तन सिंगार...
हे मात मेरी………..हे मात मेरी कैसे ये देर लगाई है दुर्गे, हे मात मेरी हे मात मेरी । भवसागर में गिरा पड़ाहूँ, काम आदि गह में घिरा पड़ा हूँ...
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